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Friday, August 27, 2010

अब दो लाख तक नहीं लगेगा आयकर

केंद्र सरकार वेतनभोगी वर्ग पर काफी मेहरबान होती नजर आ रही है। सरकार के नए प्रस्ताव से कुछ इसी तरह की तस्वीर उभर कर सामने आई है। सरकार ने व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा 1.6 लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया है। यही नहीं, कॉरपोरेट जगत पर भी सरकार की कृपा तय नजर आ रही है। सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स पर सरचार्ज एवं सेस हटाने का प्रस्ताव किया है। जाहिर है, ऐसे में कंपनियों को भी काफी राहत मिलने की उम्मीद है। कैबिनेट ने गुरुवार को जिस बहुप्रतीक्षित डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी) विधेयक को मंजूरी दी उसी में इन सारी उत्साहवर्धक बातों का उल्लेख किया गया है। संसद के चालू सत्र में ही इसे पेश करने का मन बनाया गया है ताकि अगले वित्त वर्ष से डीटीसी लागू हो सके।

कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने ये सारी जानकारियां दीं। उन्होंने टैक्स के स्लैबों का तो खुलासा नहीं किया, लेकिन बताया कि तीन स्लैब होंगे। इसका खुलासा वित्त विधेयक में हेागा। कॉरपोरेट टैक्स के बारे में प्रणब का कहना है कि इसे 30 फीसदी पर ही बरकरार रखने का प्रस्ताव है, लेकिन इस पर कोई सेस या सरचार्ज नहीं लगेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसके पीछे मुख्य मकसद सरकार द्वारा दी जाने वाली तरह-तरह की कर रियायतों की संख्या को सीमित करना है।

इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार की शाम यहां हुई बैठक में डीटीसी बिल को पेश करने के बारे में फैसला किया गया। मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह विधेयक देश के वर्तमान आयकर कानून का स्थान लेगा। इससे देश की कर प्रक्रिया आसान होगी। उनका कहना है कि डीटीसी से कर बोझ तो घटेगा, साथ ही इसका दायरा बढ़ेगा। इस वजह से सरकार को घाटा तो नहीं होगा, पर लोगों को फायदा होगा। सूत्रों का कहना है कि 30 अगस्त को इसे संसद में पेश किया जा सकता है।

वित्त मंत्रालय ने पहले डीटीसी विधेयक पर एक मसौदा तैयार किया था, लेकिन उसके प्रावधानों की उद्योग जगत के साथ-साथ आम आदमी ने भी काफी आलोचना की थी। इसमें पीएफ की निकासी पर टैक्स लगाने और उद्योग जगत की परिसंपत्तियों पर मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स (मैट) के प्रावधानों की सर्वाधिक आलोचना हुई थी। राजस्व सचिव सुनील मित्रा के मुताबिक अगस्त 2009 के दौरान जारी हुए डीटीसी पर 1600 रिप्रेजेंटेशन मिले थे। इन समस्याओं के समाधान के लिए मंत्रालय ने संशोधित डीटीसी तैयार किया।

वित्त मंत्रालय का कहना है कि रिवाइज्ड डीटीसी में सरकारी भविष्य निधि (जीपीएफ), पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) और रिकॉग्नाइज्ड प्रॉविडेंट फंड (आरपीएफ) पर एग्जेंप्ट-एग्जेंप्ट-एग्जेंप्ट (ईईई) दर्जा बरकरार रहेगा। यही नहंी, भविष्य निधि संगठन की पेंशन योजना के साथ-साथ जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए सरकारी कर्मचारियों की पेंशन योजना पर भी ईईई दर्जा बरकरार रहेगा। उद्योग जगत के लिए राहत की बात यह है कि उन पर लगने वाले मैट में भी संशोधन हुआ। पहले कंपनियों की परिसंपत्तियों को मैट के दायरे में लाया गया था। हालांकि, अब प्रावधान यह है कि कंपनियों के बुक प्रॉफिट पर ही मैट लगेगा।

पहले मसौदे में 1.6 से 10 लाख रुपये तक की आय वालों पर 10 फीसदी, 10 से 15 लाख रुपये की आय वालों पर 20 फीसदी और इससे ऊपर की आय वालों पर 30 फीसदी सलाना के आयकर की सिफारिश की गई थी। संशोधित मसौदे में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि कर की दर तो वित्त विधेयक से ही पता लगेगी। संशोधित मसौदे की एक और विशेषता होम लोन लेने वालों के लिए स्पष्टीकरण है। इसमें कहा गया है कि होम लोन के ब्याज भुगतान पर पहले की ही तरह सालाना डेढ़ लाख रुपये की छूट मिलती रहेगी। पहले मसौदे में इस पर कुछ भी नहीं कहा गया था।

बिल में और क्या है खास
आयकर के होंगे तीन स्लैब, लेकिन इसकी दरों का खुलासा नहीं
कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 फीसदी पर ही बरकरार रखने का प्रस्ताव
जीपीएफ, पीपीएफ और आरपीएफ पर ईईई दर्जा बरकरार
ईपीएफओ की पेंशन योजना पर भी ईईई दर्जा कायम
जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए सरकारी कर्मचारियों की पेंशन योजना पर भी ईईई बरकरार
लेकिन यूलिप को रखा ईईई दर्जा के दायरे से बाहर
मैट कंपनी की परिसंपत्तियों के बजाय उसके बुक प्रॉफिट पर ही लगेगा
होम लोन लेने वालों के ब्याज भुगतान पर डेढ़ लाख की सालाना छूट कायम
(ईईई से तात्पर्य निवेश के समय, योगदान व राशि की निकासी के समय तीनों बार मिलने वाली कर छूट से है

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